राजकोषीय परिषद

राजकोषीय परिषद, सरकारी तंत्र का एक अति महत्वपूर्ण हिस्सा है | इसकी सहायता से सरकार देश की अर्थव्यवस्था के उतार चढ़ाव को समझती है तथा देश की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के लिए आवश्यक कदम उठा, देश की प्रगति और उन्नति का मार्ग प्रसस्थ करती है |

सबसे पहले हम जान लेते हैं कि आखिर राजकोषीय परिषद है क्या?

'राजकोषीय परिषद' मूल रूप से एक स्थायी एजेंसी है, जिसे सरकार के राजकोषीय योजना एवं आर्थिक स्थिरता संबंधित मापदंडो के संबंध में किये गए अनुमानो का स्वतंत्र रूप से मूल्यांकन करने का जनादेश प्राप्त है |

आज कोरोना जैसी महामारी से पूरी दुनिया जूझ रही है ऐसे में भारत में 'राजकोषीय परिषद' की मांग उठना एक सवाल ए निशान है भारतीय सरकारी तंत्र पर |
दुनिया के अधिकतर देशो में 'राजकोषीय परिषद' की व्यवस्था है, जो उनकी विकासशीलता का परिचायक है|
 आईएमएफ के आँकडों के मुताबिक, अभी पूरे विश्व में लगभग 50 ऐसे देश हैं जहाँ राजकोषीय परिषद किसी न किसी रूप में उपस्थित है। 

लेकिन भारत अभी भी इनसे अछूता है | वर्तमान में देश की राजकोषीय स्थिति चिंताजनक है।महामारी की चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार को अधिक व्यय करना पड़ रहा है जबकि आर्थिक गतिविधियों को शिथिल होने से राजस्व की भी कम प्राप्ति हो रही है, ऐसे में आज यह जरूरी हो गया है कि भारत में भी राजकोषीय परिषद कि स्थापना की जाये क्योंकि सरकार पर कर्ज का बोझ और राजकोषीय घाटा अनियंत्रित रूप से बढ़ रहा है ऐसे में राजकोषीय प्रबंधन को स्वतंत्र रूप से परिस्थितियों के मुताबिक प्रबंधित करने तथा देश को आर्थिक संकट से उबारने का यही एक जरिया है |

भारत में राजकोषीय परिषद की माँग काफी पुरानी है। तेरहवें वित्त आयोग ने सबसे पहले इसकी मांग की थी तथा चौदहवे वित्त आयोग नें इसका समर्थन किया था उसके बाद  FRBM  का भी समर्थन इसे प्राप्त हुआ और इसकी चर्चा जोर शोर से होने लगी |चुकि राजकोषीय परिषद के कार्यों को भारत में विभिन्न संस्थाओं द्वारा विभिन्न रूपों में सम्पन्न किया जा रहा है लेकिन यह काफ़ी नहीं है, इसीलिए विशेषज्ञ उक्त परिषद की स्थापना की मांग पर अड़े हैं |

राजकोषीय परिषद के उद्देश्य/कार्य

1. वर्तमान तथा भविष्य में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर कितनी रहेगी इसका आंकलन करना |

2.सरकार राजकोषीय नियमों का पालन किस प्रकार से कर रही है।

3.राजकोषीय प्रबंधन में जरूरी संशोधनों का सुझाव परिषद द्वारा किया जाता है।

4.सार्वजनिक रूप से जारी करने हेतु एक वार्षिक राजकोषिय रणनीति रिपोर्ट तैयार करना |

5.राजकोषिय आंकड़ों की गुणवत्ता में सुधार हेतु आवश्यक कदम उठाना |

आदि |

 निष्कर्ष रूप में हम बस यही कह सकते हैं कि आज आवश्यकता है कि भारत में एक स्वतंत्र राजकोषीय परिषद स्थापित की जाये। इस परिषद को संसद द्वारा नियुक्त किया जाये, वित्त मंत्रालय का इसमें कोई हाथ ना हो और यह परिषद संसद को ही अपनी रिपोर्ट सौंपे, तभी भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी पर आएगी और रोटी, कपड़ा और मकान वाली सुविधा सबके लिए उपलब्ध हो पायेगी |

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