आदर्श आचार संहिता
लोकतांत्रिक देश भारत में एक कहावत बहुत अधिक प्रचलित है कि 'इश्क और जंग में सब कुछ जायज है|'
यहां के नेता और मंत्रियों ने इस कहावत को गांठ बांध ली है,क्योंकि इनके लिए चुनाव किसी जंग से कम नहीं होता| तभी तो इस जंग में जीतने के लिए यह हर हथकंडा अपनाते हैं चाहे वह गैरकानूनी ही क्यों ना हो|
कितने दुख की बात है ना कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है यंहा लोकतंत्र के सबसे बड़े त्योंहार के तर्ज पर चुनावों का आयोजन किया जाता है किंतु इस लोकतंत्र के पहरेदार बने, चुनाव में उम्मीदवार के रूप में खड़े हुए नेतागण हीं इस लोकतंत्र की हत्या करने से पीछे नहीं हटते और अपने स्वार्थ के वशीभूत हों इस जनतांत्रिक देश के लोकतांत्रिक मूल्यों की धज्जियां उड़ा देते हैं|
चुनाव के दौरान होने वाली हत्याएं, आगजनी, मारपीट, लूटपाट, सांप्रदायिक दंगे , रिश्वत,बड़े-बड़े लुभावने और झूठे वायदे इन सब का इतिहास उतना ही पुराना है जितना भारतीय चुनाव का है| भारत एक ऐसा देश है जहां साल भर कहीं ना कहीं चुनाव होते ही रहते हैं ऐसे में सियासत की आर और कुर्सी हथियाने की चाह में जगह-जगह मौत का खूनी खेल खेला जाता है|जनता मूक और बधिर बन जाती है और सत्ता लोलुप लोग अपना सियासी दांव खेल जातें हैं |
इन्हीं सब कारणों को मध्य नजर रखते हुए भारतीय चुनाव आयोग ने चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही आदर्श आचार संहिता (मॉडल कोड आफ कंडक्ट) लागू करने का प्रावधान बनाया|
इसके लागू होते हीं शासन और प्रशासन में कई तरह के बदलाव हो जाते हैं|
स्पष्ट और सरल शब्दों में कहें तो देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग द्वारा बनाए गए नियमों को ही आचार संहिता कहा जाता है|
आचार संहिता मैं कुछ निर्देश दिए गए हैं जिन्हें मानकर सभी को चलना पड़ता है वे निर्देश कुछ इस तरह है-
1 जाति धर्म और भाषा के स्तर पर मतभेद से बचना|
2 किसी की धार्मिक या जातीय भावना को आहत ना करना|
3 व्यक्तिगत आलोचना की सख्त मनाही|
4 धार्मिक स्थानों का उपयोग चुनाव प्रचार के मंच के रूप में नहीं|
5 मतदाताओं को रिश्वत देने की अनुमति नहीं|
6 आम जनता को परेशान करने या दबाव बनाने पर रोक|
7 वोटिंग केंद्र से 100 मीटर के भीतर वोट मांगने की अनुमति नहीं|
8 दूसरे दलों के लिए बाधक ना बनना|
9 चुनावी सभा करने से पूर्व पुलिस से अनुमति लेनी आवश्यक|
10 जनसभाओं को संबोधित करने के लिए माइक या फिर लाउडस्पीकर के प्रयोग की अनुमति भी पहले से पुलिस प्रशासन से लेनी आवश्यक|
11 किसी भी अराजक तत्वों के खिलाफ खुद कार्रवाई ना करके पुलिस की सहायता अनिवार्य|
12 जुलूस से यातायात प्रभावित ना हो इस बात का विशेष ध्यान रखना आवश्यक|
13 ऐसी चीजों का प्रयोग सख्त वर्जित जिनका दुरुपयोग उत्तेजना के क्षणों में हो सकता है|
14 प्रचार के लिए सरकारी मशीनरी या सरकारी कर्मचारियों का इस्तेमाल नहीं|
15 सत्ताधारी दल का सार्वजनिक जगहों पर एकाधिकार नहीं|
16 सरकारी धन से विज्ञापन प्रकाशित करने पर रोक|
17 कोई वित्तीय मंजूरी या वचन देने की घोषणा नहीं|
18 किसी भी परियोजना के लिए चुनाव के वक्त आधारशिला रखने की मंजूरी नहीं|
उक्त कुछ प्रावधानों का जिक्र हमने किया इसके अलावा भी और कई प्रावधान है जो आचार संहिता के तहत चुनाव की अधिसूचना जारी होते हीं राज्य में लागू कर दिए जाते हैं|जिससे शांति के माहौल बनाये रखने में सहायता मिलती है |
भारत में आम चुनाव के दौरान लागू होने वाली इस आदर्श आचार संहिता का इतिहास काफी पुराना और दिलचस्प है |सबसे बड़ी और रोचक बात तो यह है कि यह किसी नियम या कानून के तहत बनाई गई संहिता नहीं है अपितु यह सभी राजनीतिक दलों के आपसी सहमति से बनी हुई है | 1960 में सबसे पहले केरल विधानसभा चुनाव में इसे लागू किया गया था इसके तहत चुनावी जुलूसो,भाषणों के साथ -साथ उम्मीदवार क्या करें और क्या ना करें इन सब की लंबी चौड़ी फेहरिस्त बनाई गई थी | पुणे 1962 में लोकसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों के लिए आचार संहिता जारी किया गया और इस के पालन के लिए कहां गया इस तरह आचार संहिता की शुरुआत हुई और चुनाव के दौरान इसका पालन होने लगा|
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