रोशनी एक्ट घोटाला (जमीन की संगठित लूट )
आज हमारी चर्चा का विषय है रोशनी एक्ट अर्थात रोशनी कानून, एक ऐसा कानून जो भ्रष्ट लोगों द्वारा भ्रष्ट लोगों के लिए भ्रष्ट लोगों की खिदमत में बनाया गया जो वास्तव में गैरकानूनी था, यह एक ऐसा कानून था जिसके जरिए सरकारी जमीन की आड़ में सरकारी लोगों द्वारा ही सरकारी खजाने को लूटने का संगठित कार्य किया गया|
दरअसल 2001 में जम्मू कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला द्वारा विधानसभा में रोशनी एक्ट पारित किया गया इस एक्ट के तहत सरकारी जमीन को उन लोगों के नाम करने की बात कही गई जो 40 साल से जमीन पर रह रहे हैं अर्थात जमीन के मालिकाना हक देने की बात कही गई | बदले में सरकार उन लोगों से बाजार मूल्य पर पैसा वसूलेगी, यह बात भी इस एक्ट में साफ-साफ अंकित थी | इस तरह जो पैसा सरकारी खजाने में आएगा, लगभग 25000 करोड उससे घर - घर बिजली पहुंचाई जाएगी अर्थात रोशनी का प्रसार होगा इसीलिए इस एक्ट का नाम 'रोशनी एक्ट' रखा गया|
लेकिन क्या सच में सब कुछ इतना ही साधारण था जितना कानून में दिखाया गया या कानून की आड़ में भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा था, या बात कुछ और हीं थी?
2001 में पारित इस कानून की सच्चाई 2013 -14 में CAG की रिपोर्ट में आई,जिसमें कहा गया कि 25000 करोड़ की कमाई का लक्ष्य रखने वाला यह एक्ट केवल 76 करोड़ में सिमट कर रह गया है....
आखिर ऐसा क्यों और कैसे हुआ? रोशनी की बात करने वाला यह कानून आखिर भ्रष्टाचार के अंधेरे में कैसे लुप्त हो गया?
राजनीतिक दलों की यह संगठित लूट समझने के लिए हमें पिछले कुछ वर्षों के इतिहास को देखना होगा कि किस प्रकार सत्ता में एक के बाद एक आने वाले राजनेता अपने और अपने लोगों के फायदे के लिए एक्ट में संशोधन करते रहे और इसकी समय सीमा बढ़ाते रहें| बात फारुख अब्दुल्ला की करें या मुफ्ती मोहम्मद सईद की या फिर गुलाम नबी आजाद की लगभग तीनों लोगों ने ही कानून को अपने - अपने हिसाब से जोड़ा और तोड़ा और इस कानून के जरिए कुर्सी का भरपूर फायदा उठाते हुए अपनी पॉकेट गर्म करने में कोई कमी नहीं छोड़ी | यह तो सत्ताधीन लोग थे इनके अलावा भी अनेक राजनेता,नौकरशाह,पुलिस अधिकारी और बड़ी बड़ी शख्सियत ऐसी थी जिसने इस कानून के जरिए सरकारी खजाने को केवल अपने फायदे के लिए निचोड़ा | और इस तरह गरीबों से हमदर्दी का दावा करने वाले एक और कानून को अपने स्वार्थ की बलि चढ़ा दिया|
वर्तमान में इस मामले की जाँच हाईकोर्ट के आदेशानुसार की जा रहीं हैं, सीबीआई, मंत्रियों से लेकर अफसरों तक की फ़ाइल खंगाल रहीं हैं, जाँच में बड़ी - बड़ी हस्तीयो के नाम उभर कर सामने आ रहें, जिन्होंने देश को हाशिये पर रख स्वयं का कल्याण या यूँ कहें तो केवल अपना उल्लू सीधा किया.. गरीबो और किसानो से हमदर्दी के नाम पर उनकी तबज्जो उन्हीं तक सिमट कर रह गयीं.. कभी खुदगर्जी की परिधि से बाहर ना आ पायी |
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